Complete Notes of Science in Hindi for Class 9th Class Chapter-5 कोशिकाएं-जीवन की मौलिक इकाई
• सभी जीव सूक्ष्म कोशिकाओं के बने होते है, जिन्हें कोशिका कहते हैं| सभी जीवों की संरचनात्मक व कार्यात्मक इकाई कोशिका है|
• सन् 1665 में राबर्ट हुक ने स्वनिर्मित सूक्ष्मदर्शी से कार्क कोशिकाओं की पतली काट में अनेक छोटे-छोटे प्रकोष्ठ देखा, जिसे कोशिका कहा|
कोशिका के प्रकार
• एककोशिकीय जीव
• बहुकोशिकीय जीव
एककोशिकीय तथा बहुकोशिकीय जीव में अंतर
लक्षण
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एककोशिकीय जीव
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बहुकोशिकीय जीव
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कोशिका संख्या | एक कोशिकीय | अधिक मात्रा में कोशिकाएँ |
कार्य | कोशिका के सभी कार्य एक कोशिका द्वारा किए जाते हैं| | विभिन्न कोशिकाएँ विभिन्न प्रकार के कार्य करती हैं| |
कार्य का विभाजन | नहीं होता| | विशेष कोशिकाएँ विभिन्न प्रकार के कार्य करती हैं| |
जनन | जनन एकल कोशिका द्वारा | विशेष कोशिकाएँ जनन कोशिकाएँ जनन में भाग लेती हैं| |
आयु | छोटी होती है| | लंबी होती है| |
कोशिका के आधार पर अंतर
प्रोकैरियोटिक कोशिकाएँ
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यूकैरियोटिक कोशिकाएँ
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आकार में बहुत छोटी | आकार में बड़ी |
कोशिका का केंद्रकीय भाग न्युक्लिअर झिल्ली से नहीं ढका होता है| | केंद्रकीय भाग न्युक्लिअर झिल्ली से ढका होता है| |
केंद्रक अनुपस्थित | केंद्र उपस्थित |
झिल्ली द्वारा घिरे अंगक अनुपस्थित | अंगक झिल्ली द्वारा घिरे हुए |
कोशिका विभाजन विखंडन या कोशिका विभाजन द्वारा होता है| | कोशिका विभाजन माइटोसिस या मियोसिस द्वारा होता है| |
कोशिका की संरचना
• प्रत्येक कोशिकाओं में तीन गुण दिखाई देते हैं:
(i) कोशिका झिल्ली अथवा पलैज्मा झिल्ली
• यह कोशिका की सबसे बाहरी परत है जो कोशिका के घटकों को बाहरी पर्यावरण से अलग करती है|
• यह कुछ पदार्थों को अंदर अथवा बाहर आने-जाने देती है तथा अन्य पदार्थों की गति भी रोकती है| इसलिए कोशिका झिल्ली को वर्णात्मक पारगम्य झिल्ली कहते हैं|
कोशिका झिल्ली या प्लैज्मा झिल्ली के कार्य
• प्लैज्मा झिल्ली लचीली होती है और कार्बनिक अणुओं जैसे लिपिड तथा प्रोटीन की बनी होती है|
• यह कोशिका के अंदर व बाहर अणुओं को आने-जाने देती है|
• यह कोशिका के निश्चित आकार को बनाए रखती है|
• कोशिका झिल्ली का लचीलापन एककोशिक जीवों में कोशिका के बाह्य पर्यावरण से अपना भोजन तथा अन्य पदार्थ ग्रहण करने में सहायता करता है|
(ii) कोशिका भित्ति
• यह पादप कोशिका की सबसे बाह्य झिल्ली है जो जंतु कोशिका में अनुपस्थित रहती है|
• यह सख्त, मजबूत, मोटी, संरन्ध्र अजीवित संरचना है, यह सेलुलोज की बनी होती है, कोशिकाएँ मध्य भित्ति द्वारा एक-दूसरे से जुड़ी होती है|
कोशिका भित्ति के कार्य
• कोशिका को संरचना प्रदान करता है|
• कोशिका को मजबूती प्रदान करता है|
• यह संरन्ध्र होती है और विभिन्न अणुओं को आर-पार जाने देती है|
• इसमें मरम्मत करने व पुनर्जनन की क्षमता होती है|
(iii) केंद्रक
संरचना
• यह कोशिका का सबसे महत्वपूर्ण अंग है जो कि कोशिका की सभी क्रियाओं पर नियंत्रण करता है| यह कोशिका का केंद्र कहलाता है|
• केंद्रक के चारों ओर दोहरे परत का एक स्तर होता है जिसे केंद्रक झिल्ली कहते हैं| केंद्रक झिल्ली में छोटे-छोटे छिद्र होते हैं| इन छिद्रों के द्वारा केंद्रक के अंदर का कोशिकाद्रव्य केंद्रक के बाहर जा पाता है|
• केंद्रक में क्रोमोसोम होते हैं जो माता-पिता से DNA अणु के रूप में अगली संतति में जाते हैं|
केंद्रक के कार्य
• यह कोशिका की सभी उपापचय क्रियाओं का नियंत्रण करता है|
• यह आनुवांशिकी सूचनाओं को एक पीढ़ी से जनक पीढ़ी तक भेजने का कार्य करता है|
कोशिकाद्रव्य
• कोशिका का वह द्रव्य जिसमें सभी कोशिका अंगक पाए जाते हैं कोशिका द्रव्य कहलाता है| यहाँ जैविक व कैटाबोलिक क्रियाएँ सम्पन्न होती हैं| इसके दो भाग होते हैं|
(i) सिस्टोल: जलीय द्रव जिसमें विभिन्न प्रोटीन होती है|
(ii) कोशिका अंगक: विभिन्न प्रकार के अंगक जो प्लाज्मा झिल्ली द्वारा घिरी होती है|
कोशिका अंगक
• प्रत्येक कोशिका के चारों ओर अपनी झिल्ली होती है जिससे कि उसमें स्थित पदार्थ बाह्य पर्यावरण से अलग रहे|
• बड़ी तथा जटिल कोशिकाओं, जिसमें बहुकोशिक जीवों की कोशिकाएँ भी शामिल हैं, को भी उपापचयी क्रियाओं की बहुत आवश्यकता होती है जिससे कि वे जटिल संरचना तथा कार्य को सहारा दे सकें|
• इन विभिन्न प्रकार की उपापचयी क्रियाओं को अलग-अलग रखने के लिए, ये कोशिकाएँ झिल्लीयुक्त संरचनाओं (अंगक) का उपयोग करती हैं|
कोशिका अंगक के विभिन्न अंग
(i) अंतर्द्रव्यी जालिका
• यह झिल्ली युक्त नलिकाओं तथा शीट का एक बहुत बड़ा तंत्र है| ये लंबी नलिका अथवा गोल या आयताकार थैलों की तरह दिखाई देती है| इसकी रचना भी प्लैज्मा झिल्ली के समरूप होती है|
• अंतर्द्रव्यी जालिका दो प्रकार की होती है:
• प्रत्येक कोशिका के चारों ओर अपनी झिल्ली होती है जिससे कि उसमें स्थित पदार्थ बाह्य पर्यावरण से अलग रहे|
• बड़ी तथा जटिल कोशिकाओं, जिसमें बहुकोशिक जीवों की कोशिकाएँ भी शामिल हैं, को भी उपापचयी क्रियाओं की बहुत आवश्यकता होती है जिससे कि वे जटिल संरचना तथा कार्य को सहारा दे सकें|
• इन विभिन्न प्रकार की उपापचयी क्रियाओं को अलग-अलग रखने के लिए, ये कोशिकाएँ झिल्लीयुक्त संरचनाओं (अंगक) का उपयोग करती हैं|
कोशिका अंगक के विभिन्न अंग
(i) अंतर्द्रव्यी जालिका
• यह झिल्ली युक्त नलिकाओं तथा शीट का एक बहुत बड़ा तंत्र है| ये लंबी नलिका अथवा गोल या आयताकार थैलों की तरह दिखाई देती है| इसकी रचना भी प्लैज्मा झिल्ली के समरूप होती है|
• अंतर्द्रव्यी जालिका दो प्रकार की होती है:
(i) खुरदरी अंतर्द्रव्यी जालिका
(ii) चिकनी अंतर्द्रव्यी जालिका
• खुरदरी अंतर्द्रव्यी जालिका तथा चिकनी अंतर्द्रव्यी जालिका में अंतर
खुरदरी अंतर्द्रव्यी जालिका
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चिकनी अंतर्द्रव्यी जालिका
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ये सिस्टर्नी व नलिकाओं का बना होता है| | ये झिल्ली व नलिकाओं का बना होता है| |
प्रोटीन संश्लेषण में सहायक होते हैं| | यह स्टीरायड, लिपिड व पाली सैकराइड बनाने में मदद करता है| |
राइबोसोम उपस्थित | राइबोसोम अनुपस्थित |
मुख्य कार्य कोशिका द्रव्य के भागों तथा केंद्रक के मध्य प्रोटीन के परिवहन के लिए नलिका सुविधा प्रदान करना| | अंगक झिल्ली द्वारा घिरे हुए |
अंतर्द्रव्यी जालिका के कार्य
• यह केवल ऐसा अंगक है जो कोशिका के अंदर पदार्थों के केंद्रक के बीच परिवहन के लिए नलिका सुविधा प्रदान करता है|
• यह अंगकों के बीच जैव रासायनिक क्रियाओं के लिए कोशिका द्रव्यी ढाँचे का भी कार्य करती है|
• यह वसा, स्टीरायड, कोलेस्ट्रोल के संश्लेषण में मदद करता है|
• यह कोशिकाओं में SER विष तथा दवा को निरविषिकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं|
(ii) गॉल्जी उपकरण
• गॉल्जी उपकरण झिल्ली युक्त पुटिका है जो एक-दूसरे के ऊपर समानांतर रूप से सजी रहती है, जिन्हें कुंडिका कहते हैं|
• इन झिल्लियों का संपर्क ER झिल्लियों से होता है और इसलिए जटिल कोशिकीय झिल्ली तंत्र के दूसरे भाग को बनाती है|
गॉल्जी उपकरण के कार्य
• यह लिपिड बनाने में सहायता करता है|
• यह मध्य लेमिला बनाने का कार्य करता है|
• यह स्वभाव से स्रावी होता है, जो मेलनिन संश्लेषण में सहायता करता है|
• अंतर्द्रव्यी जालिका में संश्लेषित प्रोटीन व लिपिड का संग्रहण गॉल्जीकाय में किया जाता है|
• कुछ पुटिकाओं में एंजाइम बंद किए जाते हैं|
(iii) लाइसोसोम
लाइसोसोम कोशिका का अपशिष्ट निपटाने वाला तंत्र है| गॉल्जी उपकरण की कुछ पुटिकाओं में एंजाइम इकट्ठे हो जाते हैं| ये एकल झिल्ली युक्त होती है| इनका कोई निश्चित आकृति या आकार नहीं होता और ये मुख्यतः जंतु कोशिका में व कुछ पादप कोशिकाओं में पाए जाते हैं|
लाइसोसोम के कार्य
• लाइसोसोम बाहरी पदार्थ के कोशिका अंगकों के टूटे-फूटे भागों को पाचित करके कोशिका को साफ़ करते हैं|
• कोशिका के अंदर आने वाले बाहरी पदार्थ जैसे बैक्टीरिया अथवा भोजन तथा पुराने अंगक लाइसोसोम में चले जाते हैं जो उन्हें छोटे-छोटे टुकड़ों में तोड़ देते हैं|
• इसमें बहुत शक्तिशाली पाचनकारी एंजाइम होते हैं जो सभी कार्बनिक पदार्थों को तोड़ सकने में सक्षम होते हैं|
• उपापचय प्रक्रियाओं में जब कोशिका क्षतिग्रस्त हो जाती है तो लाइसोसोम की पुटिकाएँ फट जाती हैं और एंजाइम स्रावित हो जाते हैं और अपनी कोशिकाओं को पाचित कर देते हैं इसलिए इसे कोशिका की आत्मघाती थैली भी कहा जाता ही|
(iv) माइटोकॉन्ड्रिया
यह कोशिका का बिजलीघर है| यह एक दोहरी झिल्ली वाले होते हैं| बाह्य परत चिकनी एवं छिद्रित होती है| अंतः परत बहुत वलित होती है और क्रिस्टी का निर्माण करते हैं|
माइटोकॉन्ड्रिया के कार्य
• जीवन के लिए आवश्यक विभिन्न रासायनिक क्रियाओं को करने के लिए माइटोकॉन्ड्रिया ATP (एडिनोसिन ट्राइफॉस्फेट) के रूप में ऊर्जा प्रदान करते हैं|
• माइटोकॉन्ड्रिया बहुत अद्भुत अंगक है क्योंकि इसमें उसका अपना DNA तथा राइबोसोम होते हैं| अतः ये अपना कुछ प्रोटीन स्वयं बनाते हैं|
(v) प्लैस्टिड
• ये केवल पादप कोशिकाओं में पाए जाते हैं जो आंतरिक संगठन में झिल्ली की कई परतें होती हैं|
ये तीन प्रकार के होते हैं :
(a) क्रोमोप्लास्ट- यह जड़ों में पाया जाता है|
(b) ल्यूकोप्लास्ट- यह जड़ों, तना, पत्तियों में होता है| ये प्राथमिक रूप से अंगक हैं जिसमें स्टार्च, तेल तथा प्रोटीन जैसे पदार्थ संचित होते हैं|
(c) क्लोरोप्लास्ट- यह पत्तियों में होता है| पौधों में क्लोरोप्लास्ट प्रकाश संश्लेषण के लिए बहुत आवश्यक है|
(vi) रसधानियाँ
• रसधानियाँ ठोस अथवा तरल पदार्थों की संग्राहक थैलियाँ हैं| जंतु कोशिकाओं में रसधानियाँ छोटी होती हैं जबकि पादप कोशिकाओं में रसधानियाँ बहुत बड़ी होती हैं|
रसधानियों के कार्य
• पादप कोशिकाओं की रसधानियों में कोशिका द्रव्य भरा रहता है और ये कोशिकाओं को स्फीति तथा कठोरता प्रदान करती हैं|
• कुछ एककोशिक जीवों में विशिष्ट रसधानियाँ अतिरिक्त जल तथा कुछ अपशिष्ट पदार्थों को शरीर से बाहर निकालने में महत्वपूर्ण भूमिकाएँ निभाती हैं|
पादप कोशिका तथा जंतु कोशिका में अंतर :
पादप कोशिका
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जंतु कोशिका
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प्रकाश संश्लेषण हेतु क्लोरोप्लास्ट होता है| | क्लोरोप्लास्ट नहीं होता| |
आकार व आकृति निश्चित करने के लिए कोशिका भित्ति होती है| | कोशिका भित्ति नहीं होने के कारण आकार अनिश्चित होता है| |
लाइसोसोम नहीं पाया जाता| | लाइसोसोम पाए जाते हैं| |
कोशिकाएँ मुख्यतः चतुर्भुजाकार होती हैं| | कोशिका का विभिन्न आकार होता है| |
गॉल्जी उपकरण पूर्ण विकसित नहीं| | गॉल्जी उपकरण उपस्थित व पूर्ण विकसित होता है| |
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