Class 6 Hindi Chapter 9 मैया मैं नहिं माखन खायो Questions Answers NCERT मल्हार
Chapter 9 मैया मैं नहिं माखन खायो Class 6 NCERT Solutions
पाठ से
मेरी समझ से
(क) नीचे दिए गए प्रश्नों का सटीक उत्तर कौन-सा है ? उसके सामने तारा (★) बनाइए-
(1) मैं माखन कैसे खा सकता हूँ? इसके लिए श्रीकृष्ण क्या तर्क दिया?
- मुझे तुम पराया समझती हो ।
- मेरी माता, तुम बहुत भोली हो ।
- मुझे यह लाठी- कंबल नहीं चाहिए ।
- मेरे छोटे-छोटे हाथ छीके तक कैसे जा सकते हैं?
उत्तर
मेरे छोटे-छोटे हाथ छीके तक कैसे जा सकते हैं? (★)
(2) श्रीकृष्ण माँ के आने से पहले क्या कर रहे थे?
- गाय चरा रहे थे।
- माखन खा रहे थे।
- मधुबन में भटक रहे थे।
- मित्रों के संग खेल रहे थे।
उत्तर
माखन खा रहे थे। (★)
(ख) अब अपने मित्रों के साथ चर्चा कीजिए और कारण बताइएं कि आपने ये उत्तर ही क्यों चुने?
उत्तर
प्रश्न एक का यह उत्तर हमने इसलिए चुना क्योंकि पहले दो विकल्पों में बाल कृष्ण अपनी माँ को उनके भोलेपन और पराया समझने की बात कर रहे हैं। तीसरे में नाराज़गी दिखा रहे हैं और चौथे विकल्प में माखन के छीके तक अपने छोटे हाथ नहीं पहुँचने का बहाना बना रहे हैं। उनका यह बहाना तर्कसंगत प्रतीत होता है ।
प्रश्न दो का यह विकल्प हमने इसलिए चुना है क्योंकि कान्हा के मुँह पर माखन लगा हुआ था।
मिलकर करें मिलान
पाठ में से चुनकर यहाँ कुछ शब्द दिए गए हैं। अपने समूह में इन पर चर्चा कीजिए और इन्हें इनके सही अर्थ या संदर्भ से मिलाइए। इसके लिए आप शब्दकोश, इंटरनेट या अपने शिक्षकों की सहायता ले सकते हैं।
शब्द |
अर्थ या संदर्भ |
1. जसोदा |
1. समय मापने की एक इकाई (तीन घंटे का एक पहर होता है। एक दिवस में आठ पहर होते हैं)। |
2. पहर |
2. एक वट वृक्ष (मान्यता है कि श्रीकृष्ण जब गाय चराया करते थे, तब वे इसी वृक्ष के ऊपर चढ़कर वंशी की ध्वनि से गायों को पुकारकर उन्हें एकत्रित करते।) |
3. लकुटि कमरिया |
3. गोल पात्र के आकार का रस्सियों का बुना हुआ जाल जो छत या ऊँची जगह से लटकाया जाता है ताकि उसमें रखी हुई खाने-पीने की चीज़ों (जैसे- दूध, दही आदि ) को कुत्ते, बिल्ली आदि न पा सकें। |
4. बंसीवट |
4. यशोदा, श्रीकृष्ण की माँ, जिन्होंने श्रीकृष्ण को पाला था। |
5. मधुबन |
5. जन्म देने वाली, उत्पन्न करने वाली, जननी, माँ। |
6. छीको |
6. गाय पालने वालों के बच्चे, श्रीकृष्ण के संगी साथी । |
7. माता |
7. मथुरा के पास यमुना के किनारे का एक वन। |
8. ग्वाल-बाल |
8. लाठी और छोटा कंबल, कमली (मान्यता है कि श्रीकृष्ण लकुटि – कमरिया लेकर गाय चराने जाया करते थे)। |
उत्तर
शब्द |
अर्थ या संदर्भ |
1. जसोदा |
4. यशोदा, श्रीकृष्ण की माँ, जिन्होंने श्रीकृष्ण को पाला था। |
2. पहर |
1. समय मापने की एक इकाई (तीन घंटे का एक पहर होता है। एक दिवस में आठ पहर होते हैं) । |
3. लकुटि कमरिया |
8. लाठी और छोटा कंबल, कमली (मान्यता है कि श्रीकृष्ण लकुटि – कमरिया लेकर गाय चराने जाया करते थे) । |
4. बंसीवट |
2. एक वट वृक्ष (मान्यता है कि श्रीकृष्ण जब गाय चराया करते थे, तब वे इसी वृक्ष के ऊपर चढ़कर वंशी की ध्वनि से गायों को पुकारकर उन्हें एकत्रित करते ।) |
5. मधुबन |
7. मथुरा के पास यमुना के किनारे का एक वन । |
6. छीको |
3. गोल पात्र के आकार का रस्सियों का बुना हुआ जाल जो छत या ऊँची जगह से लटकाया जाता है ताकि उसमें रखी हुई खाने-पीने की चीज़ों (जैसे- दूध, दही आदि ) को कुत्ते, बिल्ली आदि न पा सकें। |
7. माता |
5. जन्म देने वाली, उत्पन्न करने वाली, जननी, माँ। |
8. ग्वाल-बाल |
6. गाय पालने वालों के बच्चे, श्रीकृष्ण के संगी साथी । |
पंक्तियों पर चर्चा
पाठ में से चुनकर कुछ पंक्तियाँ नीचे दी गई हैं। इन्हें ध्यान से पढ़िए और इन पर विचार कीजिए। आपको इनका क्या अर्थ समझ में आया? अपने विचार अपनी कक्षा में साझा कीजिए और अपनी लेखन पुस्तिका में लिखिए ।
(क) ‘भोर भयो गैयन के पाछे, मधुबन मोहि पठायो ”
उत्तर
यशोदा मैया से ग्वालिनों ने शिकायत की थी कि कान्हा रोज़ उनका माखन खा जाते हैं और ज़मीन पर भी गिराते हैं। श्रीकृष्ण हमेशा मना कर देते थे। आज कान्हा के मुँह पर माखन लगा हुआ था तो माता यशोदा उनसे पूछती हैं कि उन्होंने माखन चुरा कर क्यों खाया? कान्हा मना कर देते हैं और अपनी बात के पक्ष में दलील देते हुए कहते हैं कि मुझे तो आप सुबह से ही गायों के पीछे, उनके साथ मधुबन में भेज देती हैं। मैं दिनभर वही रहता हूँ, तो फिर मैं यहाँ आकर माखन कैसे खा सकता हूँ?
(ख) ” सूरदास तब बिहँसि जसोदा, लै उर कंठ लगायो ”
उत्तर
ग्वालिनों के शिकायत करने पर माँ यशोदा परेशान हो जाती हैं कि जब घर में इतना माखन होता है, फिर भी कान्हा माखन चुराकर क्यों खाते हैं। कान्हा के मुँह पर माखन लगा देखकर वे उनसे पूछती हैं कि उन्होंने माखन क्यों चुराया ? कान्हा विभिन्न बहाने बनाकर मना कर देते हैं कि उन्होंने माखन नहीं खाया । वे कहते हैं कि तू बहुत भोली है जो इनकी बातों में आ गई है, मुझे पराया जानकर तेरे मन में मेरे लिए भेदभाव उत्पन्न हो गया है। फिर नाराज़ होकर कहते हैं कि मैं अब गाय चराने नहीं जाऊँगा, तुम अपनी ये लकुटि कमरिया ले लो। सूरदास जी कहते हैं कि बाल कृष्ण की दलीलें और उनके भोलेपन को देखकर माता यशोदा को उन पर प्यार आ जाता है।
सोच-विचार के लिए
पाठ को एक बार फिर से पढ़िए और निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर ढूँढ़कर अपनी लेखन पुस्तिका में लिखिए-
(क) पद में श्रीकृष्ण ने अपने बारे में क्या-क्या बताया है?
उत्तर
इस पद में श्रीकृष्ण से माँ यशोदा पूछ रही हैं कि उन्होंने माखन चुराकर क्यों खाया ? श्रीकृष्ण माखन चुराने की बात से साफ़ इंकार करते हुए कहते हैं- माँ, मैंने माखन नहीं खाया है। वे कहते हैं कि मैं तो यहाँ था ही नहीं, मुझे तो प्रतिदिन सुबह ही आप गाय चराने के लिए मधुबन भेज देती हैं। पूरा दिन वहाँ रहकर मैं शाम को घर आता हूँ। मैं तो बहुत छोटा हूँ। ये ग्वाल-बाल झूठ बोल रहे हैं। इन्होंने ज़बरदस्ती ये माखन मेरे मुँह पर लगा दिया है। इस प्रकार अपने विषय में तर्क देकर उन्होंने अपनी माँ को समझाने का प्रयत्न किया।
(ख) यशोदा माता ने श्रीकृष्ण को हँसते हुए गले से क्यों लगा लिया?
उत्तर
सभी माताएँ अपने बच्चों से अटूट प्रेम करती हैं। बच्चों की भोली और प्यारी बातों पर माँ – बाप का स्नेह उमड़ पड़ता है। यहाँ भी बालक कृष्ण बड़ी-बड़ी बातें करते हुए कह रहे हैं कि माँ, तुम बहुत भोली हो जो इनकी बातों में आ गई हो और मुझे पराया जानकर तुम भेद-भाव कर रही हो। नाराज़ होने का नाटक करते हुए लकुटि – कमरिया वापस करते हुए श्रीकृष्ण कहते हैं कि आपने मुझे अपनी बातों से बहुत तंग किया है। पुत्र- प्रेम से व्याकुल होकर, उनकी प्यारी-प्यारी बातें सुनकर यशोदा मैया उन्हें गले से लगा लेती हैं।
कविता की रचना
"भोर भयो गैयन के पाछे, मधुबन मोहि पठायो ।
चार पहर बंसीवट भटक्यो, साँझ परे घर आयो ।।"
इन पंक्तियों के अंतिम शब्दों को ध्यान से देखिए । ‘पठायो’ और ‘आयो’ दोनों शब्दों की अंतिम ध्वनि एक जैसी है। इस विशेषता को ‘तुक’ कहते हैं। इस पूरे पद में प्रत्येक पंक्ति के अंतिम शब्द का तुक मिलता है । अनेक कवि अपनी रचना को प्रभावशाली बनाने के लिए तुक का उपयोग करते हैं।
(क) इस पाठ को एक बार फिर से पढ़िए और अपने-अपने समूह में मिलकर इस पाठ की विशेषताओं की सूची बनाइए, जैसे इस पद की अंतिम पंक्ति में अपना नाम भी दिया है आदि ।
उत्तर
इस पद की सभी पंक्तियों के अंतिम शब्द एक जैसी ध्वनि वाले हैं, यथा- खायो, पठायो, आयो, पायो, लपटायो, पतियायो, जायो, नचायो, लगायो। यह विशेषता ‘तुक’ कहलाती है। इससे पाठक व श्रोता को कविता प्रभावशाली लगती है । कवि ‘सूरदास’ जी ने बहुत बारीकी से जाँच-परख कर बाल-सुलभ बातों को कविता का रूप दिया है। बालक अपनी बात को सिद्ध करने के लिए पहले वह तर्क देता है जो उसकी आयु व कद के अनुरूप होते हैं। वह अपना दोष दूसरे पर डालने का प्रयत्न करता है। यदि फिर भी बात न बने तो नाराज़गी दिखाता है। इन सब बातों का बखूबी वर्णन करते हुए कवि ने बहुत सुंदरता से अंतिम पंक्ति में अपना नाम भी दे दिया है।
(ख) अपने समूह की सूची को कक्षा में सबके साथ साझा कीजिए।
उत्तर
विद्यार्थी स्वयं करें।
अनुमान या कल्पना से
अपने समूह में मिलकर चर्चा कीजिए-
(क) श्रीकृष्ण अपनी माँ यशोदा को तर्क क्यों दे रहे होंगे ?
उत्तर
सभी बालक शरारती होते हैं। इन शरारतों में उनसे कुछ ऐसी गलतियाँ हो जाती हैं, जिनके कारण उन्हें डाँटा जाता है और डाँटना आवश्यक भी होता है। छोटे बच्चों को तो सही-गलत का ज्ञान नहीं होता। सही-गलत से बच्चों का परिचय परिवार के बड़े सदस्य ही करवाते हैं। बच्चे नासमझ होते हुए भी इतने ज्ञानी अवश्य होते हैं कि अपनी बात को तर्कसंगत साबित करते हुए कई तरह के बहाने बना सकें। श्रीकृष्ण भी छोटे बच्चे ही हैं, अत: स्वयं को निर्दोष साबित करने के लिए वे अपनी माँ यशोदा को तर्क देते हैं।
(ख) जब माता यशोदा ने श्रीकृष्ण को गले से लगा लिया, तब क्या हुआ होगा?
उत्तर
जब माता यशोदा ने श्रीकृष्ण को गले लगा लिया, तब माँ-बेटे प्रसन्नता से झूम उठे होंगे। यशोदा माता भी अपने पुत्र से नाराज़ नहीं रह सकती थीं। श्रीकृष्ण भी यह नहीं चाहते थे। वे भी माता यशोदा को हर्षित देखना चाहते थे । जिस बात को लेकर प्रश्न-उत्तर चल रहे थे, वह बात भी समाप्त हो गई होंगी ।
शब्दों के रूप
नीचे शब्दों से जुड़ी कुछ गतिविधियाँ दी गई हैं। इन्हें करने के लिए आप शब्दकोश, अपने शिक्षकों और साथियों की सहायता भी ले सकते हैं।
(क) "भोर भयो गैयन के पाछे"
इस पंक्ति में ‘पाछे’ शब्द आया है। इसके लिए ‘पीछे’ शब्द का उपयोग भी किया जाता है। इस पद में ऐसे कुछ और शब्द हैं जिन्हें आप कुछ अलग रूप में लिखते और बोलते होंगे। नीचे ऐसे ही कुछ अन्य शब्द दिए गए हैं। इन्हें आप जिस रूप में बोलते लिखते हैं, उस प्रकार से लिखिए।
- परे – _____
- कछु – _____
- छोटो – _____
- लै – ____
- बिधि – ____
- नहिं – ____
- भोरी – ______
उत्तर
- परे – पड़े
- कछु – कुछ
- छोटो – छोटा
- लै – लेना
- बिधि – विधि, प्रकार
- नहिं – नहीं
- भोरी – भोली
(ख) पद में से कुछ शब्द चुनकर नीचे स्तंभ 1 में दिए गए हैं और स्तंभ 2 में उनके अर्थ दिए गए हैं। शब्दों का उनके सही अर्थों से मिलान कीजिए-
स्तंभ 1 |
स्तंभ 2 |
1. उपजि |
1. मुसकाई, हँसी |
2. जानि |
2. उपजनना, उत्पन्न होना |
3. जायो |
3. जानकर, समझकर |
4. जिय |
4. विश्वास किया, सच माना |
5. पठायो |
5. बाँह, हाथ, भुजा |
6. पतियायो |
6. प्रकार, भाँति, रीति |
7. बहियन |
7. मन, जी |
8. बिधि |
8. जन्मा |
9. बिहँसि |
9. मला, लगाया, पोता |
10. भटक्यो |
10. इधर-उधर घूमा या भटका |
11. लपटायो |
11. भेज दिया |
उत्तर
स्तंभ 1 |
स्तंभ 2 |
1. उपजि |
8. जन्मा |
2. जानि |
2. उपजनना, उत्पन्न होना |
3. जायो |
3. जानकर, समझकर |
4. जिय |
7. मन, जी |
5. पठायो |
11. भेज दिया |
6. पतियायो |
4. विश्वास किया, सच माना |
7. बहियन |
5. बाँह, हाथ, भुजा |
8. बिधि |
6. प्रकार, भाँति, रीति |
9. बिहँसि |
1. मुसकाई, हँसी |
10. भटक्यो |
10. इधर-उधर घूमा या भटका |
11. लपटायो |
9. मला, लगाया, पोता |
वर्ण–परिवर्तन
“तू माता मन की अति भोरी”
‘भोरी’ का अर्थ है ‘भोली’। यहाँ ‘ल’ और ‘र’ वर्ण परस्पर बदल गए हैं। आपने ध्यान दिया होगा कि इस पद में कुछ और शब्दों में भी ‘ल’ या ‘ड़’ और ‘र’ में वर्ण- परिवर्तन हुआ है। ऐसे शब्द चुनकर अपनी लेखन पुस्तिका में लिखिए।
उत्तर
- परे – पड़ना
- भोरी – भोली
पंक्ति से पंक्ति
नीचे स्तंभ 1 में कुछ पंक्तियाँ दी गई हैं और स्तंभ 2 में उनके भावार्थ दिए हैं। रेखा खींचकर सही मिलान कीजिए।
स्तंभ 1 |
स्तंभ 2 |
1. भोर भयो गैयन के पाछे, मधुबन मोहि पठायो । |
1. मैं छोटा बालक हूँ, मेरी बाँहें छोटी हैं, मैं छीके तक कैसे पहुँच सकता हूँ? |
2. चार पहर बंसीवट भटक्यो, साँझ परे घर आये। |
2. तेरे हृदय में अवश्य कोई भेद है, जो मुझे पराया समझ लिया। |
3. मैं बालक बहियन को छोटो, छीको केहि बिधि पायो। |
3. माँ तुम मन की बड़ी भोली हो, इनकी बातों में आ गई हो। |
4. ग्वाल-बाल सब बैर परे हैं, बरबस मुख लपटायो। |
4. सुबह होते ही गायों के पीछे मुझे मधुबन भेज दिया। |
5. तू माता मन की अति भोरी, इनके कहे पतियायो। |
5. चार पहर बंसीवट में भटकने के बाद साँझ होने पर घर आया। |
6. जिय तेरे कछु भेद उपजि है, जानि परायो जायो । |
6. ये सब सखा मुझसे बैर रखते हैं, इन्होंने मक्खन हठपूर्वक मेरे मुख पर लिपटा दिया। |
उत्तर
स्तंभ 1 |
स्तंभ 2 |
1. भोर भयो गैयन के पाछे, मधुबन मोहि पठायो । |
4. सुबह होते ही गायों के पीछे मुझे मधुबन भेज दिया। |
2. चार पहर बंसीवट भटक्यो, साँझ परे घर आये। |
5. चार पहर बंसीवट में भटकने के बाद साँझ होने पर घर आया। |
3. मैं बालक बहियन को छोटो, छीको केहि बिधि पायो। |
1. मैं छोटा बालक हूँ, मेरी बाँहें छोटी हैं, मैं छीके तक कैसे पहुँच सकता हूँ? |
4. ग्वाल-बाल सब बैर परे हैं, बरबस मुख लपटायो। |
6. ये सब सखा मुझसे बैर रखते हैं, इन्होंने मक्खन हठपूर्वक मेरे मुख पर लिपटा दिया। |
5. तू माता मन की अति भोरी, इनके कहे पतियायो। |
3. माँ तुम मन की बड़ी भोली हो, इनकी बातों में आ गई हो। |
6. जिय तेरे कछु भेद उपजि है, जानि परायो जायो । |
2. तेरे हृदय में अवश्य कोई भेद है, जो मुझे पराया समझ लिया। |
पाठ से आगे
आपकी बात
“मैया मैं नहिं माखन खायो”
यहाँ श्रीकृष्ण अपनी माँ के सामने सिद्ध करने का प्रयास कर रहे हैं कि उन्होंने माखन महीं खाया है। कभी-कभी हमें दूसरों के सामने सिद्ध करना पड़ जाता है कि यह कार्य हमने नहीं किया। क्या आपके साथ भी कभी ऐसा हुआ है? कब? किसके सामने? आपने अपनी बात सिद्ध करने के लिए कौन-कौन से तर्क दिए? उस घटना के बारे में बताइए।
उत्तर
हाँ, जीवन में कई बार ऐसी घटनाएँ घट जाती हैं जब हम सत्य कह रहे होते हैं तब भी लोग उस पर विश्वास नहीं कर पाते और यदि ऐसे में साक्ष्य न हो तो अच्छा-खासा सच भी झूठ की शंका के नीचे दबकर दम तोड़ देता है। इसके लिए काफी हद तक दोषी हम सभी हैं क्योंकि अधिकतर लोग अपनी आदत के कारण झूठ का सहारा लेते हैं।
मैं विद्यालय अपनी साइकिल से जाता हूँ। आज मेरी वार्षिक परीक्षा थी। वर्षा हो रही थी । मैं घर से थोड़ी दूर ही गया था कि मैंने देखा कि एक वृद्ध व्यक्ति सड़क के किनारे दुर्घटनाग्रस्त पड़े हैं। उनके पाँव से खून बह रहा था। मैंने उन्हें अस्पताल पहुँचाने का निश्चय किया। मैंने उन्हें अपनी साइकिल पर बिठाया और सरकारी अस्पताल ले गया। अधिक खून बह जाने के कारण वे अर्ध-मूर्च्छित से हो रहे थे। उन्हें अस्पताल छोड़कर मैं विद्यालय आया । उस समय तक मैं आधा घंटा देर से विद्यालय पहुँचा था । देर से आने के कारण मुझे विद्यालय में प्रवेश करने से रोक दिया गया। मेरी बात पर स्कूल के गेट पर खड़े गार्ड ने विश्वास ही नहीं किया। उन्होनें कहा कि वे विद्यालय के नियम के विरुद्ध नहीं जा सकते। तभी वहाँ पर हमारे पी.टी. सर आ गए। उन्हें मेरी बात पर विश्वास हो गया। उन्होंने प्रधानाध्यापक से बात की। विद्यालय से जब अस्पताल फ़ोन करके पूछा गया तो मेरी बात सत्य सिद्ध हुई। मुझे मेरे काम की शाबासी देते हुए प्रधानाचार्य जी ने मुझे परीक्षा पूरी करने के लिए अतिरिक्त समय भी दिया और अगले दिन मेरे कार्य की प्रशंसा प्रात:कालीन प्रार्थना सभा में भी की गई।
घर की वस्तुएँ
“मैं बालक बहियन को छोटो, छीको केहि बिधि पायो।”
‘छीका’ घर की एक ऐसी वस्तु है जिसे सैकड़ों वर्ष से भारत में उपयोग में लाया जा रहा है।
नीचे कुछ और घरेलू वस्तुओं के चित्र दिए गए हैं। इन्हें आपके घर में क्या कहते हैं? चित्रों के नीचे लिखिए। यदि किसी चित्र को पहचानने में कठिनाई हो तो आप अपने शिक्षक, परिजनों या इंटरनेट की सहायता भी ले सकते हैं।
उत्तर
- घड़ा, कुंभ
- इस्त्री, प्रेस
- चौकी
- सिलाई मशीन
- चारपाई
- मूर्तबान
- सूप
- जाँता
- सील – वट्टा
- मथानी
- पंखा
- छलनी
- डलिया
- ओखली
- बिलौनी
आप जानते ही हैं कि श्रीकृष्ण को मक्खन बहुत पसंद था। दूध से दही, मक्खन बनाया जाता है और मक्खन से घी बनाया जाता है। नीचे दूध से घी बनाने की प्रक्रिया संबंधी कुछ चित्र दिए गए हैं| अपने परिवार के सदस्यों, शिक्षकों या इंटरनेट आदि की सहायता से दूध से घी बनाने की प्रक्रिया लिखिए।
उत्तर
दूध से घी बनाने की प्रकिया
समय का माप
"चार पहर बंसीवट भटक्यो, साँझ परे घर आयो।"
(क) ‘पहर’ और ‘साँझ’ शब्दों का प्रयोग समय बताने के लिए किया जाता है। समय बताने के लिए और कौन-कौन से शब्दों का प्रयोग किया जाता है? अपने समूह में मिलकर सूची बनाइए और कक्षा में साझा कीजिए ।
(संकेत- कल, ऋतु, वर्ष, अब, पखवाड़ा, दशक, वेला, अवधि आदि)
उत्तर
एक दिन-रात के 24 घंटों को 8 पहर में विभक्त किया गया है।
दिन के चार पहर- पूर्वाह्न, मध्याह्न, अपराह्न, सायंकाल रात के चार पहर – प्रदोष, निशिथ, त्रियामा, उषा 3 घंटे का एक पहर होता है।
- कल – आने वाला अथवा बीता हुआ
- ऋतु – विभिन्न ऋतुएँ
- वर्ष – 365 दिन
- पखवाड़ा – 15 दिन
- दशक- दस वर्ष
- वेला – समय
- अवधि – समय-सीमा
(ख) श्रीकृष्ण के अनुसार वे कितने घंटे गाय चराते थे?
उत्तर
श्रीकृष्ण के अनुसार वे चार पहर अर्थात 12 घंटे गाय चराते थे।
(ग) मान लीजिए वे शाम को छह बजे गाय चराकर लौटे। वे सुबह कितने बजे गाय चराने के लिए घर से निकले होंगे?
उत्तर
यदि श्रीकृष्ण शाम को छह बजे गाय चराकर लौटे हैं तो वे सुबह छह बजे गाय चराने चले गए होंगे।
(घ) ‘दोपहर’ का अर्थ है- ‘दो पहर’ का समय । जब दूसरे पहर की समाप्ति होती है और तीसरे पहर का प्रारंभ होता है। यह लगभग 12 बजे का समय होता है, जब सूर्य सिर पर आ जाता है । बताइए दिन के पहले पहर का प्रारंभ लगभग कितने बजे होगा?
उत्तर
सुबह 6 बजे दिन के पहले पहर का आरंभ होता है।
हम सब विशेष हैं
(क) महाकवि सूरदास दृष्टिबाधित थे। उनकी विशेष क्षमता थी उनकी कल्पना शक्ति और कविता रचने की कुशलता ।
हम सभी में कुछ न कुछ ऐसा होता है जो हमें सबसे विशेष और सबसे भिन्न बनाता है। नीचे दिए गए व्यक्तियों की विशेष क्षमताएँ क्या हैं, विचार कीजिए और लिखिए-
आपकी ________
आपके किसी परिजन की _______
आपके शिक्षक की ________
आपके मित्र की _______
उत्तर
आपकी – मुझे कहानियाँ और पुस्तकें पढ़ने-लिखने का शौक है।
आपके किसी परिजन की- मेरे दादा जी एक कुशल व्यापारी हैं। वे अपने बल, बुद्धि और मेहनत के बूते एक सफल व्यापारी हैं। मेरे पापा और मेरे चाचा जी भी अब उनके साथ व्यापार में उनका सहयोग करते हैं। व्यापार में दादा जी से सीखकर अब वे दोनों भी कुशल व्यापारी बन गए हैं।
आपके शिक्षक की- हमारे शिक्षक हमारे आदर्श हैं। वे हमारी पूरी कक्षा के आदर्श हैं। वे हम छात्रों को बहुत प्रेम से पढ़ाते हैं। अपने विषय पर उनका पूरा अधिकार है। वे हमें सरल और रोचक ढंग से पढ़ाते हैं। वे सभी छात्रों पर एक समान ध्यान देते हैं । यहाँ तक कि यदि हममें से किसी छात्र को कोई समस्या हो तो उस पर भी उनकी नज़र रहती है।
आपके मित्र की- वैसे तो मेरे सारे सहपाठी मेरे मित्र हैं किंतु हम चार विद्यार्थियों का समूह अपनी मित्रता के लिए प्रसिद्ध हैं। हम चारों के परिवारिक संबंध भी बहुत अच्छे हैं। हम चारों हर समय एक-दूसरे की सहायता करने के लिए तत्पर रहते हैं।
(ख) एक विशेष क्षमता ऐसी भी है जो हम सबके पास होती है । वह क्षमता है सबकी सहायता करना, सबके भले के लिए सोचना । तो बताइए, इस क्षमता का उपयोग करके आप इनकी सहायता कैसे करेंगे-
- एक सहपाठी पढ़ना जानता है और उसे एक पाठ समझ में नहीं आ रहा है।
- एक सहपाठी को पढ़ना अच्छा लगता है और वह देख नहीं सकता।
- एक सहपाठी बहुत जल्दी-जल्दी बोलता है और उसे कक्षा में भाषण देना है।
- • एक सहपाठी बहुत अटक – अटक कर बोलता है और उसे कक्षा में भाषण देना है।
- एक सहपाठी को चलने में कठिनाई है और वह सबके साथ दौड़ना चाहता है।
- एक सहपाठी प्रतिदिनं विद्यालय आता है और उसे सुनने में कठिनाई है।
उत्तर
- मेरा एक सहपाठी पढ़ना जानता है और उसे एक पाठ समझ में नहीं आ रहा है। मेरे परिवार से मुझे एक-दूसरे की सहायता करने के संस्कार मिले हैं। इसलिए उस पाठ को पहले मैं दो बार पढूँगा ताकि अपने उस सहपाठी को भली-भाँति समझा सकूँ। इसके पश्चात मैं अपने उस सहपाठी को पाठ समझाऊँगा।
- एक सहपाठी को पढ़ना अच्छा लगता है और वह देख नहीं सकता। अपने उस सहपाठी की पढ़ने में मैं मदद करूँगा। उसे पढ़कर पाठ सुनाऊँगा और उसके लिए ब्रेल लिपि की पुस्तक लाऊँगा ।
- एक सहपाठी बहुत जल्दी-जल्दी बोलता है और उसे कक्षा में भाषण देना है। इसके लिए हमें भरसक प्रयत्न करना है। उसे हम धीरे-धीरे बोलने का अभ्यास करवाकर कक्षा के भाषण को बोलने का भी अभ्यास करवाएँगे। बार-बार का अभ्यास उसे सफल बनाएगा और उसमें आत्मविश्वास की भावना बढ़ेगी और वह जीवन में सफलता की ओर अग्रसर होगा।
- एक सहपाठी अटक – अटक कर बोलता है और उसे भाषण देना है। कहावत प्रसिद्ध है- ‘करत-करत अभ्यास के जड़मति होत सुजान।’ उसे एक ही वाक्य बार-बार बोलने का अत्यधिक अभ्यास करवाया जाएगा ताकि उसकी यह कमी दूर हो जाए और वह भाषण देने में सफल हो जाए ।
- एक अन्य सहपाठी को चलने में कठिनाई है और वह सबके साथ दौड़ना चाहता है। ऐसे सहपाठी को दौड़ने में कठिनाई तो बहुत होगी, किंतु बार-बार के अभ्यास से उसमें कुछ-न- न – कुछ सुधार अवश्य होगा।
- एक सहपाठी प्रतिदिन विद्यालय आता है और उसे सुनने में कठिनाई है। हम उसे सुनने का उपकरण खरीदकर देकर उसकी सहायता कर सकते हैं।
आज की पहेली
दूध से मक्खन ही नहीं बल्कि और भी बहुत कुछ बनाया जाता है | नीचे दूध से बनने वाली कुछ वस्तुओं के चित्र दिए गए हैं | दी गई शब्द पहेली में उनके नाम के पहले अक्षर दे दिए हैं। (चित्र के लिए पाठ्यपुस्तक देखें) नाम पूरे कीजिए-
उत्तर
खोजबीन के लिए
सूरदास द्वारा रचित कुछ अन्य रचनाएँ खोजें व पढ़ें।
उत्तर
संकेत –
- सूरसागर
- सूरसारावली
- नागलीला
- भागवत
- साहित्यलहरी
- नल दमयंती
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