The Ganga Story in Hindi Class 10 English Prose Chapter 3 Explain in Hindi UP Board Solution

THE GANGA

चाचा नेहरु, जैसा कि भारत के बचों द्वारा प्यार से उन्हें पुकारा जाता था . वे सब भारतियों के दिलों में अपना स्थान बना लिए थें . बदले में वह भी अपने देश और देशवासियों को दिल से प्यार करते थें और अपने आपको उनके साथ एकाकार कर देना चाहते थें . उनकी अंतिम इच्छा और वसीयत उनकी इस महान अभिलाषा की साक्षी है .

Hello doston hum aapke liye aaj Jawaharlal Nehru dwara likhit story prose chapter 3 ka hindi me anuwad le ker ke aaya hun. Humne isse pahle bhi up board english subject ke aur bhi chapters ka post likh chuka hu. Jyada padhen ke liye click kr ke padh sakte hain. ज्यादा पढ़ें   

The Ganga Story Unit Wise Hindi Translation

Para-1. I have received ................... or preserved.   (unit-1)


हिंदी अनुवाद : मुझे भारतियों से इतना अधिक प्रेम और स्नेह मिला है कि मैं जो भी कुछ करूं, इसका एक अंश भी नही चुका सकता और वास्तव में प्रेम जैसी अमूल्य वस्तु को चुकाया ही नही जा सकता। अनेक लोगों की प्रशंसा की गयी है, कुछ का सम्मान भी किया गया है,परन्तु भारत में रहने वाले लोगों की सभी जातियों का इतना अधिक प्यार मुझे मिला है कि इसने मुझे अभिभूत  कर दिया है। मैं केवल आशा ही व्यक्त कर सकता हूँ कि अपने जीवन के शेष वर्षों में मैं अपने लोगों तथा उनके प्यार के अयोग्य सिद्ध नही होऊंगा।

मैं अपने असंख्य साथियों और सहकर्मियों का और भी अधिक ऋणी हूं हम महान कार्यों में ही कर रहे हैं और इनमें अनिवार्य रूप से भागीदार रहे हैं।

जब मेरी मृत्होयु  तो मेरी इच्छा है कि मेरे शरीर का दाह संस्कार किया जाए यदि मेरी मृत्यु विदेश में हो तो मेरी दाह संस्कार वही कर दिया जाए और मेरी अस्थियां  इलाहाबाद भेज दिए जाए। इन अस्थियों का मुट्ठी भर भाग गंगा में विसर्जित कर दिया जाए और उनका अधिकांश भाग निम्नलिखित तरीकों से विसर्जित किया जाए इन अस्थियों के किसी भी भाग को बचाकर या सुरक्षित ना रखा जाए।

Para-2. My desire to .................flowing waters.   (unit-2)

हिंदी अनुवाद : मेरी इस इच्छा का कि मेरी अस्थियों  का कुछ भाग इलाहाबाद में गंगा में विसर्जित किया जाए, कोई धार्मिक महत्व नहीं है।  जहां तक मेरा संबंध है इस मामले में मेरी कोई धार्मिक भावना नहीं है।  मैं अपने बचपन से ही इलाहाबाद में गंगा और जमुना नदियों से बंधा हुआ रहा हूं और जैसे जैसे मैं बड़ा हुआ हूं यह लगाव भी बढ़ता गया है। ऋतुओं  के बदलने के साथ-साथ मैंने अपने बदलते हुए भाव को देखा है, और का इतिहास और पौराणिक कथा और परंपरा और संगीत और कथा के बारे में विचार किया है जो युग-युगांतर से इसके साथ जुड़ गई है और उनके बहते पानियों का अंग बन गई है। 

Para-3. The Gunga especially ............ have been cast.   (unit-3)

हिंदी अनुवाद : गंगा विशेष रूप से भारत की नदी है, भारतीयों की प्रिय है, जिसके चारों ओर भारत की जाती है यादें उसकी आशाएं और है उसके विजय के गीत उसकी विजय और पराजय लिखी हुई है यह भारत की युद्ध कालीन संस्कृति और सभ्यता का प्रतीक है निरंतर बहती हुई और फिर भी वैसी ही गंगा है। वह मुझे याद दिलाती है हिमालय की उस गहरी घाटियों और बर्फ से ढकी हुई चोटियों की ,जिन्हें मैंने बहुत प्यार किया है और समुंद्र तथा विशाल निचले मैदानों की जहां मेरा जीवन और कार्य ढले हैं। 

Para-4. Smiling and  .................. of the future.   (unit-4)


हिंदी अनुवाद :  प्राप्त: सूर्य  के प्रकाश में मुस्कुराती और नाचती हुई तथा संध्या काल के आने पर अंधकारमय और रहस्य पूर्ण, शीतकाल में संकुचित, मन एवं शोभा युक्त जल धारा और वर्षा ऋतु में एक विशाल, गरजती हुई वस्तु लगभग सागर की तरह मिसाल वक्ष स्थल वाली और सागर जैसी विनाशक सकती रखने वाली, गंगा मेरे लिए भारत के अतीत की प्रतीक और इस स्मृति रही है, जो वर्तमान में से होकर भविष्य के विशाल सागर में प्रवेश कर जाती हैं। 

Para-5. And through  ................ and fifty-four.   (unit-5)

हिंदी अनुवाद : और यद्यपि मैंने काफी प्राचीन परंपरा और रीति-रिवाजों को छोड़ दिया है, और मैं उत्सुक  हूं कि भारत स्वयं  को उन सब बेड़ियों से  मुक्त कर ले जो उसे बांधती है और बाध्य करती  है तथा उनके लोगों को विभाजित करती है और उनमें से असंख्य का दमन करती है और सही तथा आत्मा के स्वतंत्र विकास को रोकती है। यद्यपि मैं यह सब चाहता हूं, फिर भी मैं स्वयं को संपूर्ण रूप से उस अतीत से अलग नहीं करना चाहता। मुझे उस महान विरासत पर, जो हमारी रही है और हमारी है, गर्व है और मुझे बोध  है कि मैं भी सब की तरह इससे अटूट कड़ी का अंग हूं जो भारत के अति प्राचीन अतीत के इतिहास के आरंभ से जुड़ी है। मैं इस कड़ी को नहीं तोडूंगा, क्योंकि मैं इसे बहुमूल्य समझता हूं और इससे प्रेरणा प्राप्त करता हूं।  और अपनी इस इच्छा तथा भारत की सांस्कृतिक विरासत के प्रति मेरी श्रधांजलि  के रूप में, मैं यह प्रार्थना कर रहा हूं कि मेरी मुट्ठी भर अस्थियां इलाहाबाद में गंगा में विसर्जित कर दी जाए जो उस विशाल सागर में चली जाए, जो भारत के समुद्री तटों को धोता है।
मेरी अस्थियों के अधिकांश भाग का अन्य प्रकार से निबटारा किया जाये। मैं चाहता हूँ कि इन्हें वायुयान में आकाश में ऊँचा ले जाया जाये और उस ऊँचाई से उन्हें हमारे खेतों में बिखेर दिया जाये जहाँ भारत के किसान कठिन परिश्रम करते हैं, ताकि वे भारत की मिट्टी में मिल जाए और भारत का एक अभिन्न अंग बन जाए।  मैं यह वसीयत (इच्छा-पत्र) नई दिल्ली में 21 जून सन 1954 को लिखी है। 

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