Class 12 English Prose Chapter 3 The Secret of Health, Success and Power in Hindi
Hello, Friends aaj hum aaplogo ke liye class 12 ke English prose se chapter 3 The Secret of Health, Success and Power ka hindi me anuwaad leker ke laaye hain. jisko samajhne me aksar logon ko pareshaniya uthani padti hai jisse koi bhi is chapter ka hindi anuwaad nhi samajh paate hain. lekin doston aaj aapki sab preshaniya dur ho sakti hai. bass aap is post ko last tak jroor padhiyega. Aur aapko yah post acha lage to apne doston ko bhi share jroor karen.
Para 2 : जितनी जल्दी हम अनुभव करें और स्वीकार करें कि रुग्णता हमारी अपनी गलतियों या पाप का फल है, उतनी ही जल्दी हम स्वास्थ्य के मार्ग पर अग्रसर हो सकेंगे। बीमारी उनके पास आती है जो उसे आकर्षित करते हैं, वह उनके पास आती है जिनके मस्तिष्क और शरीर उसके ग्राही हैं, और बीमारी उससे दूर भागती है जिसके शक्तिशाली, विशुद्ध और सकारात्मक विचारों के प्रमंडल जीवनदायिनी विचारधाराएं उत्पन्न करते हैं।
Para 3 : यदि आप क्रोध, चिंता, ईर्ष्या, लालच या किसी अन्य अशांत मानसिक अवस्था के शिकार हैं और आप पूर्ण शारीरिक स्वास्थ्य की आशा करते हैं तो आप असंभव की आशा कर रहे हैं। क्योंकि आप थोड़े-थोड़े समय पश्चात किंतु लगातार अपने मस्तिष्क में बीमारी के बीज बो रहे हैं। बुद्धिमान व्यक्ति ऐसी मानसिक दशाओं से सावधानीपूर्वक घृणा करता है क्योंकि वह जानता है कि वह दशाएं गंदी नालिया रोगाणुओं से भरे मकान से भी कहीं अधिक खतरनाक है।
Para 4 : यदि आप सभी शारीरिक दर्द और पीड़ा से मुक्ति प्राप्त करना चाहते हैं और पूर्ण शारीरिक समानता का आनंद लेना चाहते हैं, तब अपने मस्तिष्क को व्यवस्थित करें और अपने विचारों में सामंजस्य बनाए रखें। आनंददायक विचार सोचिए; प्रिय विचार सोचिए; सद्भावना को जीवन को बल देने दीजिए और आधार बनने दीजिए, और आपको किसी अन्य दवा की आवश्यकता नहीं पड़ेगी। अपनी ईर्ष्या, शंका अपनी चिंता, अपनी घृणा और अपने स्वार्थी कार्य और अभ्यास को दूर भगाए और आप शारिरिक काश कष्टों जैसे अपच, यकृत की बीमारियों, घबराहट और जोड़ों में दर्द से मुक्ति पा जाएंगे।
यदि आप ऐसे विचारों से, जो आपको भ्रष्ट करते हैं और कमजोर बनाते हैं, चिपके रहते हैं, तब यह शिकायत न कीजिए कि, आपका शरीर रोगग्रस्त हो गया है।
Para 5 : बहुत से लोग शिकायत करते हैं कि कार्य की अधिकता के कारण उनका स्वास्थ्य खराब हो गया है। ऐसे मामलों में अधिकांश खराब स्वास्थ्य प्रायः मूर्खता पूर्ण ढंग से बर्बाद की हुई शक्ति का परिणाम होता है। यदि आप स्वास्थ्य को सुरक्षित रखना चाहते हैं तो आपको चिंता मुक्त होकर कार्य करना सीखना चाहिए। बेचैन होना या उत्तेजित होना अथवा अनावश्यक विवरण पर चिंता करना, खराब स्वास्थ्य को निमंत्रण देना है। कार्य, चाहे मस्तिष्क का हो या शरीर का, लाभदायक और स्वास्थ्यप्रद होता है और जो व्यक्ति मानसिक शांति भंग किए बिना लगातार और दृढ़ता से कार्य कर सकता है, जो सभी परेशानियों और चिंता से मुक्त होता है, अपने हाथ में लिए कार्य के अतिरिक्त अन्य सब बातों से बिल्कुल विस्मृत होकर कार्य कर सकता है, वह अपने कार्य को कहीं अधिक अच्छी तरह से समाप्त करेगा; उस व्यक्ति की अपेक्षा जो सदैव जल्दबाजी में और बेचैन होता है। प्रथम व्यक्ति वरदान पूर्वक अपना स्वास्थ्य भी बनाए रखता है जबकि दूसरा व्यक्ति बहुत ही शीघ्र, सजा के रूप में अपना स्वास्थ्य खो बैठेगा।
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Hello, Friends aaj hum aaplogo ke liye class 12 ke English prose se chapter 3 The Secret of Health, Success and Power ka hindi me anuwaad leker ke laaye hain. jisko samajhne me aksar logon ko pareshaniya uthani padti hai jisse koi bhi is chapter ka hindi anuwaad nhi samajh paate hain. lekin doston aaj aapki sab preshaniya dur ho sakti hai. bass aap is post ko last tak jroor padhiyega. Aur aapko yah post acha lage to apne doston ko bhi share jroor karen.
Act-1
Para 1 : जहां अधिक विश्वास और जीवन की सुचिता (पवित्रता) शोभायमान है, वहीं पर आरोग्यता है, वहीं पर सफलता है, वहीं पर सामर्थ्य हैं। ऐसे व्यक्ति में बीमारी, असफलता और दुर्भाग्य के लिए कोई स्थान नहीं होता, क्योंकि उस व्यक्ति में ऐसी कोई चीज नहीं होती जिस पर यह फल फूल सके।Para 2 : जितनी जल्दी हम अनुभव करें और स्वीकार करें कि रुग्णता हमारी अपनी गलतियों या पाप का फल है, उतनी ही जल्दी हम स्वास्थ्य के मार्ग पर अग्रसर हो सकेंगे। बीमारी उनके पास आती है जो उसे आकर्षित करते हैं, वह उनके पास आती है जिनके मस्तिष्क और शरीर उसके ग्राही हैं, और बीमारी उससे दूर भागती है जिसके शक्तिशाली, विशुद्ध और सकारात्मक विचारों के प्रमंडल जीवनदायिनी विचारधाराएं उत्पन्न करते हैं।
Para 3 : यदि आप क्रोध, चिंता, ईर्ष्या, लालच या किसी अन्य अशांत मानसिक अवस्था के शिकार हैं और आप पूर्ण शारीरिक स्वास्थ्य की आशा करते हैं तो आप असंभव की आशा कर रहे हैं। क्योंकि आप थोड़े-थोड़े समय पश्चात किंतु लगातार अपने मस्तिष्क में बीमारी के बीज बो रहे हैं। बुद्धिमान व्यक्ति ऐसी मानसिक दशाओं से सावधानीपूर्वक घृणा करता है क्योंकि वह जानता है कि वह दशाएं गंदी नालिया रोगाणुओं से भरे मकान से भी कहीं अधिक खतरनाक है।
Para 4 : यदि आप सभी शारीरिक दर्द और पीड़ा से मुक्ति प्राप्त करना चाहते हैं और पूर्ण शारीरिक समानता का आनंद लेना चाहते हैं, तब अपने मस्तिष्क को व्यवस्थित करें और अपने विचारों में सामंजस्य बनाए रखें। आनंददायक विचार सोचिए; प्रिय विचार सोचिए; सद्भावना को जीवन को बल देने दीजिए और आधार बनने दीजिए, और आपको किसी अन्य दवा की आवश्यकता नहीं पड़ेगी। अपनी ईर्ष्या, शंका अपनी चिंता, अपनी घृणा और अपने स्वार्थी कार्य और अभ्यास को दूर भगाए और आप शारिरिक काश कष्टों जैसे अपच, यकृत की बीमारियों, घबराहट और जोड़ों में दर्द से मुक्ति पा जाएंगे।
यदि आप ऐसे विचारों से, जो आपको भ्रष्ट करते हैं और कमजोर बनाते हैं, चिपके रहते हैं, तब यह शिकायत न कीजिए कि, आपका शरीर रोगग्रस्त हो गया है।
Para 5 : बहुत से लोग शिकायत करते हैं कि कार्य की अधिकता के कारण उनका स्वास्थ्य खराब हो गया है। ऐसे मामलों में अधिकांश खराब स्वास्थ्य प्रायः मूर्खता पूर्ण ढंग से बर्बाद की हुई शक्ति का परिणाम होता है। यदि आप स्वास्थ्य को सुरक्षित रखना चाहते हैं तो आपको चिंता मुक्त होकर कार्य करना सीखना चाहिए। बेचैन होना या उत्तेजित होना अथवा अनावश्यक विवरण पर चिंता करना, खराब स्वास्थ्य को निमंत्रण देना है। कार्य, चाहे मस्तिष्क का हो या शरीर का, लाभदायक और स्वास्थ्यप्रद होता है और जो व्यक्ति मानसिक शांति भंग किए बिना लगातार और दृढ़ता से कार्य कर सकता है, जो सभी परेशानियों और चिंता से मुक्त होता है, अपने हाथ में लिए कार्य के अतिरिक्त अन्य सब बातों से बिल्कुल विस्मृत होकर कार्य कर सकता है, वह अपने कार्य को कहीं अधिक अच्छी तरह से समाप्त करेगा; उस व्यक्ति की अपेक्षा जो सदैव जल्दबाजी में और बेचैन होता है। प्रथम व्यक्ति वरदान पूर्वक अपना स्वास्थ्य भी बनाए रखता है जबकि दूसरा व्यक्ति बहुत ही शीघ्र, सजा के रूप में अपना स्वास्थ्य खो बैठेगा।
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👉 Read para 6 to 16 in Hindi
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