[ यह कहानी एक परिश्रमी किसान, लैंचो की है। जब लैंचो मुसीबत में पड़ता है, तो वह भगवन के ओर मुड़ता है और धन भेजने के लिए उसे (भगवान) को एक पत्र लिखता है। लैंचो को एक पत्र मिलता है जो भगवान की ओर से होता है। इस पत्र में कुछ धन भी होता है। पता लगाए कि पत्र पर किसके सिगनेचर हैं और क्या लैंचो को धन मिल जाने पर भगवान को धन्यवाद देता है कि नही। जानने के किये अंत तक जरूर पढ़ें।]
Unitwise Hindi Translation
(Unit-1)
1. The House-the ...... the northeast.
हिन्दी अनुवाद : उस पूरी घटी में वह अकेला घर एक नीची पहाड़ी के चोटी पर स्थित था। इतनी ऊँचाई से एक व्यक्ति नदी, पके अनाज के खेतों को जिनके किनारों पर फूल खिले थें जो अच्छी फसल का वडा करते थें, देख सकता था।
वह एकमात्र चीज जिसकी आवश्यकता थी वह थी भरी वर्षा या कम से कम एक बौछार। पूरी सुबह लैंचो ने, जो अपने खेतो को घनिष्ठ रूप से जनता था और कुछ नही किया था सिवा इसके कि वह उत्तर-पूर्व की ओर आकाश को देखता रहा था।
Unit-2
2. "Now we're really ...... he exclaimed:
हिन्दी अनुवाद : "अब वाकई कुछ वर्षा होने वाली है, स्त्री।"
स्त्री ने, जो शाम का भोजन तैयार क्र रही थी, उत्तर दिया, "हाँ, भगवान की इच्छा से।"
बड़े लड़के खेत में काम कर रहे थें, जबकि छोटे वाले घर के पास खेल रहे थें, जब तक कि स्त्री ने उन सबको पुकारा नही : "खाने के लिए आओ.... "
जब वे खाना खा रहे थें तो लैंचो कि भविष्यवाणी के अनुसार वर्षा की बड़ी-बूंदें गिरने लगीं। उत्तर-पूर्व में बादलों के विशाल पहाड़ उमड़ते दिखाई पद रहे थें। हवा में ताजगी और मिठास थी। लैंचो वर्षा के बूंदों का आनंद अपने शरीर पर महसूस करने के लिए बहर निकल गया। और जब वह वापिस लौटा तो चिल्लाया :
Unit-3
3. "These aren't ...... to his sons.
हिन्दी अनुवाद : आकाश से यह वर्षा की बुंदे नहीं नए सिक्के बस रहे हैं बड़ी बूँदे दस सेंट के सिक्के हैं और छोटी पांच के।"
संतुष्टि के भाव से उसने फूलों सहित पके अनाज के अपने खेतों को वर्षा के आवरण में लिखते हुए देखा।अचानक तेज हवाएं चलने लगी और ओले पड़ने लगे। वे ओले चांदी के सिक्कों की तरह थें। लड़के भीगने की परवाह किए बिना जमे हुए उन मोतियों को एकत्र करने के लिए बाहर दौड़ गए।
"यह तो वाकई बुरा हो रहा है। मुझे आशा है ओले गिरने जल्दी बंद हो जाएंगे।"लैंचो चिल्लाया। परंतु ऐसा नहीं हुआ। 1 घंटे तक ओले हर और गिरते रहे- घर पर, बाग में, पहाड़ी के आस-पास, अनाज के खेत पर, पूरी घाटी में। खेत सफेद हो गया जैसे उस पर नमक की परत चढ़ गई हो। पेड़ पर एक भी पत्ता नहीं बचा।अनाज पूरी तरह नष्ट हो गया। पौधों पर से फूल गायब हो गए। लैंचो की आत्मा दुःख से भर गई। जब तूफान थम गया तो वह खेत के बीच में खड़ा हो गया और अपने बेटों से बोला :
"यह तो वाकई बुरा हो रहा है। मुझे आशा है ओले गिरने जल्दी बंद हो जाएंगे।"लैंचो चिल्लाया। परंतु ऐसा नहीं हुआ। 1 घंटे तक ओले हर और गिरते रहे- घर पर, बाग में, पहाड़ी के आस-पास, अनाज के खेत पर, पूरी घाटी में। खेत सफेद हो गया जैसे उस पर नमक की परत चढ़ गई हो। पेड़ पर एक भी पत्ता नहीं बचा।अनाज पूरी तरह नष्ट हो गया। पौधों पर से फूल गायब हो गए। लैंचो की आत्मा दुःख से भर गई। जब तूफान थम गया तो वह खेत के बीच में खड़ा हो गया और अपने बेटों से बोला :
Unit-4
4. "A plague of locusts ...... with God!"
हिन्दी अनुवाद : "टिड्डियों का आक्रमण किया छोड़ता .... ओलों ने तो कुछ भी नहीं छोड़ा; इस साल हमारे पास अनाज नहीं होगा...."
वह रात बहुत दु:ख भरी रात थी।
"हमारी सारी मेहनत बेकार हो गई।"
"कोई भी ऐसा नहीं जो हमारी मदद कर सके।"
"इस साल हम सब भूखो मर जाएंगे ......"
किंतु उन सब के दिलों में जो घाटी के बीच उस एकांत मकान में रहते थें , एकमात्र आशा थी - भगवान की सहायता की।
"इतने परेशान मत हो, यद्यपि यह पूरी हानि प्रतीत होती है। याद रखो, भूख से कोई नहीं मरता।"
"लोगों का यही कहना है; भूख से कोई नहीं मरता ....... "
पूरी रात लैंचो एक ही आशा के बारे में सोचता रहा-भगवान की आशा जिसकी आंखें, जैसा कि उसे बताया गया था, सब कुछ देखती है, यहां तक कि उसे भी जो व्यक्ति की आत्मा के अंदर होता है।
लैंचो सांड जैसा व्यक्ति था जो खेतों में जानवर की तरह काम करता था किंतु फिर भी उसे लिखना आता था। आने वाले रविवार को दिन निकलते ही उसने एक पत्र लिखना आरंभ कर दिया जिससे वह स्वयं शहर लेकर जाएगा और डाक में डाल देगा।
यह भगवान के नाम पत्र से किसी प्रकार भी कम नहीं था।
"हे भगवान," उसने लिखा, अगर तुम मेरी मदद नहीं करोगे तो इस साल मेरा परिवार और मैं भूखों मर जाएंगे। फसल को फिर से बोने के लिए और अगली फसल आने तक जीवन यापन के लिए मुझे 100 पिसौज की जरूरत है क्योंकि ओलों के तूफान ......"
उसने लिफाफे के ऊपर लिखा, "भगवान के लिए", उसके अंदर पत्र रख दिया, और अभी भी दु:खी शहर चला गया। डाकघर में जाकर उसने लिफाफे पर टिकट लगाया और उसे दाग के डिब्बे में डाल दिया।
कर्मचारियों में से एक जो डाकिया था और डाकघर में सहायता भी करता था, खूब हंसता हुआ अपने बॉस के पास गया और उसे भगवान के नाम का पत्र दिखाया। डाकिये को अपने पूरे पेशे में भगवान का पता नहीं मालूम हुआ था। मोटा, अच्छे स्वभाव का पोस्टमास्टर हंस पड़ा किंतु तुरंत ही गंभीर हो गया और पत्र से मेज को ठक-ठक करते हुए बोला : "वाह क्या विश्वास है ! काश मेरा भी भगवान में ऐसा ही विश्वास होता जैसा कि पत्र के लेखक का है। भगवान के साथ पत्र-व्यवहार !"
Unit-5
5. So, in order to ...... God.
हिन्दी अनुवाद : लेखक के भगवान में विश्वास को डिगाने के लिए, पोस्ट मास्टर ने एक उपाय सोचा : पत्र का उत्तर दो। किंतु जब उसने उसे (पत्र को) खोला तो यह स्पष्ट था कि पत्र का उत्तर देने के लिए उसे सद्भावना, कागज, स्याही से अधिक किसी और चीज की जरूरत थी। किंतु वह अपने फैसले पर अडिग रहा; उसने अपने कर्मचारियों से धन मांगा, स्वयं उसने अपने वेतन का भी भाग दिया और उसने अपने अनेक मित्रों को परोपकार के इस कार्य में धन देने पर मजबूर किया।
एक सौ पिसौ एकत्र करना उसके लिए असंभव था, इसीलिए वह किसान को आधे से कुछ ही अधिक धन भेज पाया। धन को उसने लैंचो का पता लिखें लिफाफे में रखा और उसके साथ एक पत्र जिसमें हस्ताक्षर स्थान पर केवल एक शब्द 'भगवान' लिखा था।
Unit-6
6. The following Sunday ...... crooks, Lencho.
हिन्दी अनुवाद : अगले रविवार को आम समय से कुछ पहले ही लैंचो ने पोस्ट ऑफिस पहुंचकर पूछा कि क्या उसका कोई पत्र आया था। स्वयं डाकिए ने उसे पत्र दिया जबकि पोस्टमास्टर, उस व्यक्ति जैसे संतोष का अनुभव करते हुए जिसने कोई अच्छा कार्य किया हो, अपने ऑफिस के दरवाजे से उसे देखता रहा।
पत्र में धन देखकर लैंचो ने तनिक भी आश्चर्य प्रकट नहीं किया, उसका ऐसा विश्वास था - किंतु जब उसने धन को गीना तो वह क्रोधित हो उठा.... भगवान ने तो ऐसी गलती की ही नहीं होगी और न उसने लैंचो को उसे वह देने से मना किया होगा जिसके लिए उसने प्रार्थना की थी।
तुरंत लैंचो खिड़की पर कागज और स्याही मांगने गया। लिखने वाली सार्वजनिक मेंज पर बैठकर उसने लिखना आरंभ किया। लिखने में उसे इतना प्रयत्न करना पड़ा कि उसकी भौंह पर बल पड़ गए। जब लिखना समाप्त किया तो वह टिकट खिड़की पर गया जिस पर चाटकर कर थूक लगाया और फिर लिफाफे पर लगाकर कलाई से घूंसे से उसे चिपका दिया।
जिस क्षण पत्र को डाक के डिब्बे में डाला गया उसी क्षण पोस्टमास्टर उसे खोलने चला गया। इसमें कहां गया था : "हे भगवान; जितना धन मैंने मांगा था उसमें से केवल 70 पिसौ ही मुझे मिला। शेष धन भी मुझे भेजिए क्योंकि उसकी मुझे बहुत आवश्यकता है। किंतु इसे मेरे पास डाक से मत भेजना क्योंकि पोस्ट ऑफिस के कर्मचारी बेईमानों का झुंड है। लैंचो।"
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हिन्दी अनुवाद : अगले रविवार को आम समय से कुछ पहले ही लैंचो ने पोस्ट ऑफिस पहुंचकर पूछा कि क्या उसका कोई पत्र आया था। स्वयं डाकिए ने उसे पत्र दिया जबकि पोस्टमास्टर, उस व्यक्ति जैसे संतोष का अनुभव करते हुए जिसने कोई अच्छा कार्य किया हो, अपने ऑफिस के दरवाजे से उसे देखता रहा।
पत्र में धन देखकर लैंचो ने तनिक भी आश्चर्य प्रकट नहीं किया, उसका ऐसा विश्वास था - किंतु जब उसने धन को गीना तो वह क्रोधित हो उठा.... भगवान ने तो ऐसी गलती की ही नहीं होगी और न उसने लैंचो को उसे वह देने से मना किया होगा जिसके लिए उसने प्रार्थना की थी।
तुरंत लैंचो खिड़की पर कागज और स्याही मांगने गया। लिखने वाली सार्वजनिक मेंज पर बैठकर उसने लिखना आरंभ किया। लिखने में उसे इतना प्रयत्न करना पड़ा कि उसकी भौंह पर बल पड़ गए। जब लिखना समाप्त किया तो वह टिकट खिड़की पर गया जिस पर चाटकर कर थूक लगाया और फिर लिफाफे पर लगाकर कलाई से घूंसे से उसे चिपका दिया।
जिस क्षण पत्र को डाक के डिब्बे में डाला गया उसी क्षण पोस्टमास्टर उसे खोलने चला गया। इसमें कहां गया था : "हे भगवान; जितना धन मैंने मांगा था उसमें से केवल 70 पिसौ ही मुझे मिला। शेष धन भी मुझे भेजिए क्योंकि उसकी मुझे बहुत आवश्यकता है। किंतु इसे मेरे पास डाक से मत भेजना क्योंकि पोस्ट ऑफिस के कर्मचारी बेईमानों का झुंड है। लैंचो।"
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